स्कूल पुस्तकालय निबंध
● पुस्तकालय पुस्तकों का भंडार तथा ज्ञान का स्रोत होता है।
● विद्यार्थी के जीवन में उसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
● पुस्तकालय का वातावरण शान्त तथा साफ़-सुथरा होता है। जहाँ विद्यार्थी अपने समय और शक्ति का सही प्रयोग कर सकते हैं।
● यहाँ पर सभी पुस्तकें क्रमानुसार होती हैं।
● विद्यार्थी भिन्न-भिन्न पुस्तकों से जानकारी सरलता से प्राप्त कर सकता है और नये विचार सृजन में रूचि यहाँ पर पैदा होती है।
● पुस्तकालय ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी है।
● पाठ्यक्रम से हटकर बच्चे कहानियाँ, कविताएँ, चुटकुले और अन्य साहित्यिक पुस्तकें पढ़कर अपना मनोरंजन भी करते हैं।
● स्कूलों की समय-सारणी में पुस्तकालय की एक पीरियड अवश्य होता है। जहाँ बैठकर पढ़ने से विद्यार्थियों में पढ़ने की रूचि विकसित होती है।
● यह पीरियड बच्चों की किताबों से मित्रता करवाता है।
● पुस्तकें चयन करने में पुस्तकालय अध्यक्ष/लाइब्रेरियन ;स्पइतंतपंदद्ध भी छात्रों की सहायता करता/करती है।
● पुस्तकालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ नियम भी होते हैं, जिनका पालन अवश्य करना चाहिए।
● पुस्तकालय की पुस्तकें कम से कम 15 दिनों के लिए पढ़ने के लिए दी जाती हैं।
● पुस्तकालय के नियमों में वहाँ बैठकर आपस में बातचीत न करना, निश्चित समय पर पुस्तक लौटाना, उसे न फाड़ना, गंदी न करना आदि विशेष हैं।
● पुस्तक खो जाने पर नई पुस्तक या उसकी कीमत पुस्तकालय में जमा करवानी पड़ती है।
● पुस्तकालय की देखरेख़ करना, अनुशासन बनाये रखना सभी का फर्ज़ और ज़िम्मेवारी है।
● यहाँ पुस्तकें पढ़कर कम ज्ञान वाले भी विद्वान बन जाते हैं।
● हम सब को इस सस्ते एवं सरल साधन द्वारा अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए।
Contributed by Sudha Jain
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