Essay on Hockey in Hindi (हॉकी पर निबन्ध)

आँखों देखा मैच: हॉकी पर निबन्ध (Essay on Hockey)

आओ, मिल खेलें, हाॅकी का खेल।
सीखें, जीना हार-जीत को झेल।

Essay on Hockey – भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हाॅकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हाॅकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यंत रोचक और उत्साहवर्धक होता है। मुझे ऐसा ही हाॅकी का एक मैच देखने का अवसर मिला।

एक तरफ जैन स्कूल तथा दूसरी तरफ हीरो स्कूल की टीम थी। हज़ारों दर्शक मैच देखने आए हुए थे। दोनों टीमों के कप्तान मैदान के बीच खड़े थे। मैच का आरंभ रेफ़री ने सीटी बजाकर किया। जैन स्कूल के खिलाड़ी ने हाॅकी से गेंद को ज्यों ही हिट लगाई, हीरो स्कूल के खिलाड़ी लहर की तरह आगे बढ़ आए।

देखते ही देखते खेल में गति आ गई। दोनों टीमों के खिलाड़ियों की हाॅकियों से छूते ही गेंद कभी इधर लुढ़कती तो कभी उधर।

दोनों टीमों के खिलाड़ी अच्छा खेल रहे थे, जैन स्कूल का गोल कीपर बहुत ही होशियार और चुस्त था। वह विरोधी टीम के सभी आक्रमणों को विफल कर रहा था। उधर जैन टीम के कप्तान ने तेज़ी पकड़ी और देखते ही देखते हीरो टीम के विरूद्ध एक गोल दाग़ दिया। गोल होने पर हीरो टीम के सभी खिलाड़ियों ने मिलकर आक्रमण किया और गोल करने में सफ़ल हो गए।

सभी खिलाड़ी पसीने से तर हो गए थे और सभी दर्शक खेल को देखकर मंत्र-मुग्ध थे। इतने में मध्यांतर (आधा समय) हो गया। सभी खिलाड़ी मैदान से बाहर आ गए। दोनों टीमों के प्रशिक्षक उन्हें निर्देश देने लगे। दो-दो घूँट पानी पीते ही खेल फिर से आरम्भ की सीटी बजी।

मैच फिर से शुरू हुआ, हीरो टीम वाले जोश में आए। उन्हें दो पैनल्टी काॅर्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके सभी खिलाड़ी जी-जान से गोल करने के लिए आतुर थे। खेल अपनी चरमसीमा पर पहुँच चुका था। जैन टीम को भी एक पैनल्टी काॅर्नर मिला जिसे उन्होंने बढ़िया हिट लगाकर गोल में बदल दिया। सभी खिलाड़ी नाच उठे। दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से अभिनंदन किया। उधर हीरो स्कूल की टीम बड़े सुरक्षात्मक ढंग तथा तालमेल से आगे बढ़ी।

आखिरी पाँच मिनट बचे थे तभी हीरो स्कूल के कप्तान ने दाएँ कोण से हिट लगाकर गोल कर अपनी टीम को बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। वहीं दोनों टीमें अपने-अपने खेल पर प्रसन्न थी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देखकर आनन्द आ गया।

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