ईद त्योहार पर निबंध – Essay on Eid Festival in Hindi
ईद का त्योहार मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार हमारे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे सभी धर्मों के लोग मिल-जुल कर मनाते हैं। हर वर्ष में दो ईदें मनाई जाती हैं। इन में एक को ‘ईद-उल-फ़ितर’ और दूसरी को ‘ईद-उल-जुहा’ कहते हैं। ईद-उल फ़ितर इस्लामी महीनों में पहली तारीख़ को मनाई जाती है। इस ईद को ‘मीठी ईद’ भी कहते हैं।
इस्लाम धर्म में रमज़ान महीने का विशेष महत्व है। रमज़ान का चाँद देखकर रोज़े शुरू किये जाते हैं। दिन चढ़ने से पहले भाव फ़ज् (Fajar) के अज़ान (नमाज़) से पहले तक खाना खाया जाता है जिसको सहरी कहते हैं। फिर दिन भर अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता। शाम ढलते समय मग्रिब (Magrib) की अज़ान (नमाज़) सुनते ही रोज़े खोले जाते हैं जिसको इफ़्तार (Iftar) कहते हैं। ये रोज़े करीब 29-30 दिन तक चलते हैं। इसी महीने में इस्लाम धर्म के अनुसार पैगम्बर मुहम्मद साहिब को कुरान शरीफ़ प्राप्त हुआ था। आख़िरी रोज़े की शाम को शाही इमाम के द्वारा ईद के चाँद को देखकर ईद का ऐलान किया जाता है। उस दिन को अरफ़ा कहते हैं।
ईद की सुबह लोग नहा-धोकर नये-नये कपड़े पहनकर ईदगाह में ईद नमाज़ अदा करने जाते हैं। ईद की नमाज़ बड़े उत्साह के साथ पढ़ी जाती है। लोग ख़ुदा का शुक्रिया अदा करते हैं और हाथ उठाकर दुआएं माँगते हैं। इसके बाद लोग एक-दूसरे के गले मिलकर ‘ईद मुबारक’ कहते हैं। ईदगाह के बाहर मेला लगा होता है। बाज़ारों में बड़ी रौनक होती है। दुकानें खूब सजी होती हैं। बच्चे-बड़े सब मेले से खरीदारी करते, झूले झूलते और लुत्फ़ उठाते हैं। शाम को सब मस्ती करते हुए घरों को लौट जाते हैं।
बच्चों को ईद के दिन घर के बड़े बुजुर्ग ईदी देते हैं इसलिए बच्चों में विशेष उत्साह होता है। इस दिन हर घर में स्वादिष्ट पकवान और सेवइयाँ बनती हैं। इन्हें सब स्वयं खाते और आपस में भी बाँटते हैं।
रोज़े के दिनों में बुरी आदतों जैसे सिगरेट पीना, तम्बाकू खाना आदि का त्याग किया जाता है। निन्दा, चुग़ली और झूठ बोलने से परहेज़ किया जाता है।
ईद उल फ़ितर के बाद दूसरी ईद, ईद उल जुहा अर्थात् बकरीद दो महीने दस दिन बाद आती है। यह ईद हज़रत इब्राहिम अल्लाह इस्लाम (A.S.) और इनके बेटे की याद में मनाई जाती है। इस ईद पर भी ईद नमाज़ अदा की जाती है। इसी दिन हज पूरा हुआ माना जाता है। इसलिए इस दिन कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी का हिस्सा आपस में बाँटकर खाया जाता है। दोनों ईदों मीठी ईद और बकरीद के दिनों में इस्लाम धर्म के अंगों कलमा, नमाज़, ज़कात, रोज़ा तथा इज करना इत्यादि का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इन दिनों में की गई नेकियों का दस गुणा फल प्राप्त होता है। ईद-ए-मिलाद का भी इस्लाम धर्म में ख़ास स्थान है।
Also See:
- Essay on Diwali in Hindi
- Essay on Dussehra in Hindi
- Essay on Baisakhi in Hindi
- Essay on National Symbols in Hindi
- Essay on Raksha Bandhan in Hindi
- Essay on National Flag of India in Hindi
- Essay on My State: Punjab in Hindi
- School Library Essay in Hindi
- My Village Essay in Hindi
- My School Essay in Hindi
- Morning Walk Essay in Hindi
- My Favourite Teacher Essay in Hindi
- My Best Friend Essay in Hindi